वीर सावरकर रचित - हिन्दू एकता गीत
स्वातंत्र्यवीर सावरकर 1925 में रत्नागिरी शहर में स्थानबद्ध थे औऱ उनको राजकारण करना , उसके ऊपर बात भी करना इसके ऊपर पाबंदी थी | इसी समय सावरकर जी ने अस्पृश्यता निवारण एवं हिन्दू संघटन इन विषयों पर काम करना शुरू किया |
यह कार्य करते समय सावरकर जी ने मराठी भाषा मे एक " हिंदू एकता गीत " बनाया था , जो कि बहोत ही अर्थपूर्ण और भरपूर आशय से भरा हुआ है | यह गीत हर एक हिन्दू ने जरूर पढ़ना चाहिए और इसका अर्थ समझकर अपने दूसरे हिन्दू बंधुओ को आगे भेजना चाहिए | ये उद्देश्य को सामने रखते हुए मैं और मेरे मित्र पंकज हमने मिलकर मूल मराठी गीत को हिन्दी में रूपांतरित किया है | मैं नीचे आपको सावरकरजी ने लिखे मराठी गीत का जो हिंदी रूपान्तर है वो दे रहा हु , औऱ फिर आखिर उनका मूल मराठी गीत है वो भी दे रहा हु ,
*हिंदी गीत* 👇
*हम सारे हिन्दू , सकल बंधू-बंधू*
आप , मैं ,हम सारे केवल हिंदू ,
एक दूसरे के केवल बंधु बंधु ॥धृ ॥
महादेव जी पिता हमारे,
मिलकर करे उन्हें वन्दना
एक हृदय से, सारे हिन्दू !!
ब्राह्मण,शूद्र, क्षत्रिय , वैश्य हो ।
रूप-रंग चाहें कुछ भी हो ।
हिंदू-जाती ही माँ सबकी हो ।
नतमस्तक रहे उसके चरणों में, जुडे रहें हम सब बंधू-बंधू !!
एक देश जो पिरोया प्रेम में ।
एकही छंद जीवन-काव्य में ।
हिन्दूही धर्म सबके हृदय में ।
रगों में बहती हैं हिन्दू-प्रेम गंगा,
जिसके हम सकल बिंदू-बिंदू!!
प्रभुरामचन्द्र का निस्सिम भक्त ।
गोविंदचरण में जो-जो अनुरक्त ।
गीता गा कर जो पूजें भगवंत ।
जो बैठा हिन्दू-धर्मकी नौका में,
तरता है भवसागर , भवसिंधू !!!
उभयों में दोषनिवारण हो ।
द्वेष, दुष्ट रूढीयाँ समाप्त हो । हिन्दुधर्म ही हमारी माँ हो
अपराध भूले, अटूट प्रेम-धागें में बंधे ,
एकजुट रहे , हम सब हिंदू-हिंदू !!
संताने हम सम हिंदू-जाती की ।
सेवा में रत निरंतर हिन्दू-धर्म की ।
प्राणोंसे भी प्रिय सुरक्षा जिसकी
पूर्वजों के इस भगवा-ध्वज तलें,
सब एक हो ,हर हिंदू ,हिंदू- हिंदू !!
मूल कविता - वीर सावरकर
हिंदी रूपान्तरण - हेमंत सांबरे और पंकज नेरुरकर
ये रही वीर सावरकर द्वारा रचित मराठी गीत 👇👇
*तुम्ही आम्ही सकल हिंदू बंधू बंधू !*
तुम्ही आम्ही सकल हिंदू बंधु बंधु
तुम्ही आम्ही सकल हिंदू बंधु बंधु !
तो महादेवजी पिता आपुला, चला तयाला वंदू!!
ब्राह्मण वा क्षत्रिय, चांग जरी झाला !
कसलेही रूप व रंग जरी ल्याला !
तो महार अथवा मांग सकलाला !
ही एकची आई हिंदुजाती आम्हांस, तिला वंदू!!
एकची देश हा अपुल्या प्रेमाचा!
एकची छंद जीवाच्या कवनाचा!
एकची धर्म हा आम्हा सकलांचा!
ही हिंदू जातीची गंगा, आम्ही तिचे सकल बिंदू !!
रघुवीर रामचंद्रांचा जो भक्त !
गोविन्दपदाम्बुजी जो जो अनुरक्त !
गीतेसी गाऊनी पूजी भगवंत !
तो हिंदू धर्म, नौकेत बसुनिया तरतो भवसिंधू !!
उभयांनी दोष उभयांचे खोडावे !
द्वेषासी, दुष्ट रुढीसी सोडावे!
सख्ख्यासी आईच्यासाठी जोडावे !
आम्ही अपराधांसी विसरुनी, प्रेमा पुन्हा पुन्हा सांधू!!
लेकुरे हिंदू जातीची हि आम्ही !
आमुच्या हिंदू धर्मासी त्या कामी !
प्राणही देऊनी रक्षू परिणामी !
ह्या झेंड्याखाली पूर्वजांचीया, एकाची नांदू !!
स्वातंत्र्यवीर सावरकर. रत्नागिरी - १९२५
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© हेमंत सांबरे
२०.०३.२०२२ .
पुर्वी एका वसंत व्याख्यानमालेत मी मराठी गीत ऐकले होते ।एका RSS प्रेमीने सादर केले होते ।तुम्ही केलेले हिंदी भाषांतरही छान वाटले ।फार छान ।
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